म्यूच्यूअल फंड्स MUTUAL FUND KYA HAI KAISE INVEST KARE

म्यूच्यूअल फंड्स

  • म्यूचुअल फंड क्या होते हैं
  • भारत में म्यूचुअल फंड
  • म्यूचुअल फंड में निवेश क्यों करें 
  • म्यूचुअल फंड के क्या प्रकार हैं
  • म्यूचुअल फंड में कौन निवेश कर सकता है
  • कोई फंड कैसे चुनें
  • एनएवी क्या है
  • म्यूचुअल फंड के टैक्स पहलु
  • जोख़िम बनाम पुरुस्कार

म्यूचुअल फंड क्या होते हैं

अ: म्यूचुअल फंड पैसों का एक समान पूल होता है जिसमें समान निवेश उद्देश्यों के निवेशक अपना योगदान रखते हैं, जिसे स्कीम के निश्चित उद्देश्यों के अनुसार निवेश किया जाता है. निवेश प्रबंधक एकत्रित पैसों का निवेश उन संपत्तियों में करता है जिन्हें स्कीम के निश्चित उद्देश्यों द्वारा परिभाषित किया जाता हैं. उदाहरण के लिए, किसी इक्विटी फंड को इक्विटी और इक्विटी से संबंधित साधनों में और ऋण फंड को गिल्ट आदि में निवेश किया जाएगा.

भारत में म्यूचुअल फंड-बहुत ही साधारण शुरूआत से प्रगतिशील

अ: भारतीय म्यूचु्अल फंड उद्योग ने भारतीय निवेशकों के लिए कई आकर्षक निवेश अवसर खोलना प्रारंभ कर दिया है. अब हमने देखना शुरू कर दिया है कि बचत को अकेले बैंक में रखने के बजाय फंड में लगाया जा रहा है.

म्यूचुअल फंड अब शायद अधिकतर निवेशकों के लिए सबसे उपयुक्त निवेश अवसरों में से एक है. जैसे कि वित्तीय बाज़ार अब अधिक परिष्कृत और जटिल हो गए है, इसलिए निवेशकों को एक ऐसे वित्तीय मध्यस्थ की आवश्यकता है जो उन्हें सुविज्ञ निर्णय लेने के लिए आवश्यक ज्ञान और व्यावसायिक विशेषज्ञता प्रदान करें.

भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग तीन चरणों से गुज़र चुका है:

प्रथम चरण 1964 और 1987 के बीच का था जब यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया ही केवल अकेला खिलाडी था. 1988 के अंत तक, यूटीआई की कुल संपत्ति 6700 करोड़ थी.

द्वितीय चरण 1987 और 1993 के बीच का था, जिस अवधि के दौरान, 8 फंड स्थापित हुए(6 बैंकों द्वारा और एलआईसी व जीआईसी द्वारा एक-एक). कुल स्कीम संख्या 167 तक चली गई और प्रबंधन के अंतर्गत संपत्तियों के आकड़ों में सुधार 61,000 से अधिक देखा गया.

1993 में म्यूचुअल फंड उद्योग में निजी और विदेशी क्षेत्रों के प्रवेश से तिसरा चरण चिह्नित किया गया. प्रथम प्रवेशी, विदेशी फंड के सहयोग से शुरू किया गया कोठारी पायनियर म्यूचुअल फंड था. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 1996 में म्यूचुअल फंड नियमन बनाया, जिसने म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए पहली बार व्यापक नियामक ढ़ाचे की स्थापना की. उसके बाद निजी और संयुक्त क्षेत्रों द्वारा कई म्यूचुअल फंड स्थापित किए गए. वर्तमान में भारत में 34 म्यूचुअल फंड संगठम मौजूद है.

आज म्यूचुअल फंड उद्योग का एयूएम 2 करोड़ से अधिक का है, जिसने पिछले 5 वर्षो से 1 लाख करोड़ से अधिक की वृद्धि की है. साथ ही संपूर्ण एयूएम में इक्विटी संपत्तियों का प्रतिशत इसी अवधि में 5% से 30% तक बढ़ गया.

म्यूचुअल फंड में क्यों निवेश करना चाहिए

अ: म्यूचुअल फंड में निवेश Kotaksecurities.com के माध्यम से करने पर कई लाभ प्राप्त होते है, जो नीचे सूचीबद्ध किए गए हैं

1. व्यावसायिक निवेश प्रबंधन

म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक प्राथमिक लाभ यह है कि निवेशक को उसके वित्त के लिए व्यावसायिक प्रबंधन का लाभ प्राप्त होता है. व्यक्तिगत निवेशक के बजाय, पूर्ण कालिक, उच्च-स्तर के निवेश पेशेवर होने से, एक अच्छा निवेश प्रबंधक अधिक उपयोगी और म्यूचु्अल फंड द्वारा निवेश करने के लिए चुनी गई कंपनियों की ओर ध्यान देने में अधिक सक्षम होता है. प्रबंधको के पास महत्वपूर्ण बाज़ार की जानकारी पर अद्यतित पहुंच होती है और वे सबसे बड़े और सबसे किफ़ायती पैमाने पर व्यापार करने में सक्षम होते हैं.

2. विविधीकरण

संपत्ति आवंटन निवेश करने में एक महत्वपूर्ण तत्व होता है. यह किसी भी पोर्टफ़ोलियो की सफलता में महत्वपूर्ण रूप से योगदान देता है. हालांकि छोटे निवेशकों के इतना पर्याप्त धन नहीं होता है कि वे उनकी संपत्तियों का आवंटन ठीक तरह से कर सकें. अपने धन की दूसरों के साथ पूलिंग करके, आप शीघ्रता से अधिक से अधिक विविधता का लाभ उठा सकते है. म्यूचुअल फंड विस्तृत श्रेणी की प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं. ऐसा करने से किसी एक प्रतिभूति के मूल्य में संभवित गिरावट के प्रभाव को कम करते हुए निवेश जोख़िम कम हो जाता है. विविधीकरण तकनीकों से म्यूचुअल फंड यूनिट-धारक लाभ उठा सकते हैं, जो कि आमतौर पर केवल धनी निवेशकों को ही उपलब्ध होता है जिनके पास विभिन्न तरह की प्रतिभूतियों में मह्तवपूर्ण स्थान प्राप्त करने के लिए पर्याप्त धन होता है.

3. कम लागत

म्यूचुअल फंड आपको किसी विविध पोर्टफ़ोलियों में 5000 रूपये जितने कम, और कभी कभी इससे भी कम रुपये में भागीदार बनने देता है. और लोड-रहित फंड के साथ, आप उन्हें लेने के लिए बहुत ही कम या किसी बिक्री शुल्क का भुगतान नहीं करते है.

4. सुविधा और लचीलापन

म्यूचुअल फंड में निवेश करने की अपनी सुविधा होती है. के साथ, बटन के एक क्लिक के साथ आप वास्तव में म्यूचुअल फंड में ऑनलाइन निवेश करने के अनुभव का लाभ लेंगे. वे दिन बीत चुकें है जब लोगों को म्यूचुअल फंड में आवेदन करने के लिए लंबे और थकाने वाले फ़ॉर्म भरने पड़ते थे. इसके अलावा, आप हमें किसी विशेष म्यूचु्ल फंड में अपना आदेश देने के लिए 30305757 पर भी कॉल कर सकते हैं और हम आपकी ओर से आदेशों का संचालन करेंगे. दूसरा बड़ा लाभ यह है कि किसी म्यूचुअल फंड परिवार के अंतर्गत, आप अपने फंड को आसानी से एक फंड से दूसरे फंड में स्थानांतरित कर सकते हैं. यह आपको किसी महत्वपूर्ण फंड प्रबंधन या आर्थिक बदलावों पर प्रतिसाद देने के लिए आसानी से अपने पोर्टफ़ोलियो को पुनर्संतुलित करने देता है.

5. तरलता

असीमित अवधि वाली स्कीम में, आप म्यूचुअल फंड से ही, किसी भी समय अपना धन प्रचलित एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) पर वापस प्राप्त कर सकते है.

6. पारदर्शिता

सेबी द्वारा म्यूचुअल फंड हेतु बनाए गए नियामक ने, उद्योग को बहुत ही पारदर्शी बना दिया है. आप अपनी ओर से किए गए निवेश पर यह जानने के लिए नज़र रख सकते है आपके धन को किन क्षेत्रों/स्क्रिप में निवेश किया गया है. इसके साथ ही, आपको अपने निवेश के मूल्य की नियमित जानकारी प्राप्त होती हैं. Kotaksecurities.com के साथ, आप अपने द्वारा दिए गए म्यूचुअल फंड के आदेश की स्थिति को ऑनलाइन देख सकते हैं

7. विविधत

म्यूचुअल फंड आपको निवेश हेतु चुनने के लिए उद्योगों/क्षेत्रों की संपूर्ण श्रेणी प्रदान करता है आपको ऐसा कोई म्यूचुअल फंड मिल सकता है जो बस आपके द्वारा चुनी गई निवेश रणनीति से मेल खाता हो. ऐसे फंड होते है जो ब्लू-चिप शेयर, प्रौद्योगिकी शेयर, बॉन्ड या शेयर और बॉन्ड के मिक्स पर केद्रिंत होते हैं. वास्तव में, विविध विकल्पों की छंटाई करना और अपने लिए सर्वोत्तम चुनना एक सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है. Kotaksecurities.com के ग्राहक के रूप में, चुनने हेतु 560 से अधिक स्कीम के साथ, आप लगभग 14 विभिन्न म्यूचुअल फंड हाउस में निवेश कर सकते हैं.

(I) निवेश उद्देश्य पर आधारित म्यूचुअल फंड का वर्गीकरण:

1.इक्विटी उन्मुखी

अ. सामान्य प्रयोजन

सामान्य-प्रयोजन इक्विटी स्कीम के उद्देश्य इन फंड को केवल किसी विशिष्ट उद्योगों या क्षेत्रों में निवेश करने से प्रतिबंधित नहीं करते हैं. इसलिए इन फंड का विविध पोर्टफ़ोलियो ऐसी कंपनियों का होता है जो असंख्य विस्तृत श्रेणी में फैली हुई होती है. यद्यपि ये स्कीम इक्विटी मूल्य जोख़िम को दिखाती है, लेकिन विविध सामान्य-प्रयोजन इक्विटी फंड विविधीकरण द्वारा क्षेत्र या स्टॉक विशिष्ट जोखिमों को कम करती है. इनमें मुख्य रूप से बाज़ार जोख़िम होता है.

ब. क्षेत्र विशिष्ट

ये स्कीम एक या अधिक पूर्व-निर्धारित क्षेत्रों में निवेश करने से प्रतिबंधित करती है जैसे कि प्रोद्योगिकी क्षेत्र. चूंकि ये केवल चयनित क्षेत्रों के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं, इसलिए ये स्कीमें स्वाभाविक रूप से सामान्य-प्रयोजन स्कीम से अधिक जोख़िमभरी होती हैं. ये स्कीमें जानकार निवेशकों के लिए उपयुक्त होती हैं जो संबंधित क्षेत्र को देखना परखना और उस पर जोख़िम लेना चाहते हैं.

स. विशेष स्कीम

- इंडेक्स स्कीम, किसी इंडेक्स स्कीम का उद्देश्य संपूर्ण बाज़ार, या बाज़ार के किसी विशिष्ट क्षेत्र के प्रदर्शन के मापन को दिखाना होता है. इंडेक्स म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन की गणना करने के लिए बेंचमार्क की तरह भी कार्य करता है. कुछ निवेशक किसी विशिष्ट फंड में निवेश करने की बजाय सामान्य बाज़ार में ही निवेश करने में रूचि रखते हैं. ऐसे निवेशकों को बाज़ार द्वारा दर्ज किए गए लाभ को प्राप्त करने में प्रसन्नता होती है. चूंकि बाज़ार में प्रत्येक स्टॉक में उसके आकारानुसार निवेश करना व्यावहारिक नहीं है, इसलिए ये निवेशक ऐसे किसी फंड में निवेश करनो को अच्छा मानते हैं जो उनके अनुसार संपूर्ण बाज़ार का अच्छा प्रतिनिधित्व करते हो. इंडेक्स फंड को ऐसे ही निवेशकों के लिए प्रारंभ किया गया है और प्रबंधित किया जाता है.

- टैक्स बचत स्कीम

निवेशकों (व्यक्तिगत और हिंदु अविभक्त परिवार, "एचयूएफ़") को अब इक्विटी लिंक्ड बचत स्कीम (ईएलएलएस) के माध्यम से इक्विटी बाज़ार में निवेश करने के लिए उन्हें टैक्स में छूट देकर प्रोत्साहित किया जाता है. खरीदी गई यूनिट को तब तक सौंपा/हस्तांतरित/गिरवी/ रीडिम/स्विच नहीं किया जा सकता जब तक कि संबंधित यूनिट के आवंटन की तिथि से 3 वर्ष पूर्ण न हो जाएं.

स्कीम, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, 1996 और वित्त मंत्रालय(आर्थिक कार्य विभाग), ईएलएलएस से संबंधित भारत सरकार द्वारा जारी की गई सूचनाओं के अधीन है.

ईएलएलएस स्कीम में किए गए निवेश 80C के अंतर्गत कटौती के लिए पात्र है. कोटक की ईएलएलएस स्कीम, ईएलएलएस स्कीम का एक उदाहरण है.

- रियल एस्टेट फंड

विशिष्टीकृत रियल एस्टेट फ़ंड, रियल एस्टेट में सीधे निवेश कर सकते हैं या वे रियल एस्टेट डेवलपर्स को धनापूर्ति कर सकते हैं या उन्हें सीधे उधार दे सकते हैं या हाउसिंग फ़ायनांस कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं या वे उनकी प्रतिभूतिकृत संपत्तियाँ भी खरीद सकते हैं.

2. ऋण आधारित

ये स्कीम, (सामान्यतः आय स्कीम भी कहा जाता है), कॉर्पोरेट बॉन्ड, डिबेंचर, और सरकारी प्रतिभूतियों जैसी ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करती है. इन स्कीम की कीमतें इक्विटी स्कीमों की तुलना में अधिक स्थिर हो जाती है. इन स्कीमों में निवेशकों का अधिकांश लाभ तो लाभांश या स्थिर पूंजी मूल्य वृद्धि के द्वारा ही उत्पन्न हो जाता है. ये स्कीमें रूढ़िवादी निवेशकों के लिए या ऐसे निवेशकों के लिए आदर्श होती हैं जो उच्च इक्विटी जोख़िम लेने की स्थिति में नहीं होते हैं, जैसे कि सेवानिवृत्त व्यक्ति. हालांकि, मुद्रा बाज़ार की तुलना में इनमें उच्च कीमत के उतार-चढ़ाव का जोख़िम नहीं है.

अ. आय स्कीम

ये स्कीमें मध्यम और लंबी अवधि की परिपक्वताओं के साथ मुद्रा बाज़ार, बॉन्ड या कॉर्पोरेट के डिबेंचर में निवेश करती हैं. ये स्कीमें प्राथमिक रूप से पूंजी मूल्य वृद्धि के बजाय वर्तमान आय को लक्षित करती हैं. इसलिए वे लांभाश वितरण के तरीके से निवेशकों के वितरणयोग्य सरप्लस में से एक बड़ा हिस्सा उनको वितरित करती हैं. ऐसे स्कीमें आमतौर पर त्रैमासिक लाभांश घोषित करती हैं और ऐसे रूढ़िवादी निवेशकों के लिए उपयुक्त होती हैं जिनकी मध्यम से लेकर लंबी-अवधि तक निवेश सीमा होती है और जो लाभांश या स्थिर पूंजी मूल्य वृद्धि के माध्यम से नियमित आय के लिए देख रहे हो.

ब. तरल आय स्कीम

तरल आय स्कीम, आय स्कीम के जैसी ही होती हैं लेकिन उनमें परिपक्वता अवधि उससे कम होती है.

स. मुद्रा बाज़ार स्कीम

ये स्कीमें लघु अवधि के साधनों में निवेश करती हैं जैसे कि वाणिज्यिक पत्र ("सीपी"), जमा प्रमाणपत्र ("सीडी"), ट्रेजरी बिल ("टी-बिल") और ओवरनाइट मनी (कॉल) में निवेश करती हैं. ये स्कीमें लघु-अवधि की परिपक्वताओं वाले मुद्रा बाज़ार के साधनों में निवेश करने के कारण सभी स्कीमों में सबसे अधिक स्थिर हैं. ये स्कीमें संस्थागत निवेशकों और लघु-अवधि सरप्लस फंड वाले उच्च निवल संपत्ति के व्यक्तियों में लोकप्रिय हो चुकी हैं.

द. गिल्ट फंड

ये स्कीमें प्राथमिक रूप से सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं. इसलिए आमतौर पर निवेशकों को क्रेडिट जोख़िम की चिंता नहीं करनी पड़ती क्योंकि सरकारी ऋण सामान्यतः क्रेडिट जोख़िम मुक्त होते हैं.

3. हाइब्रिड योजना

इन स्कीमों को आमतौर पर संतुलित स्कीमों के रूप में जाना जाता है और ये इक्विटी के साथ ही साथ ऋण में भी निवेश करती हैं. इस प्रकृति के मिक्स में निवेश करके, संतुलित स्कीमें, आय और मध्यम पूंजी मूल्य वृद्धि के उद्देश्य को प्राप्त करती हैं और रूढ़िवादी, लंबी-अवधि उन्मुखीकरण वाले निवेशकों के लिए आदर्श है.

(II) बनावट पर आधारित म्युचूअल फंड निवेश:

1. असीमित अवधि वाली स्कीम

असीमित अवधि वाली स्कीम की कोई निर्धारित परिपक्वता अवधि नहीं होती है. निवेशक किसी भी व्यावसायिक दिवस पर म्यूचु्ल फंड से एनएवी-संबंधित मूल्यों पर यूनिट खरीद या बेच सकते हैं. इन स्कीमों में असीमित पूंजीकरण होता है, कोई निर्धारित परिपक्वता तिथि नहीं होती है, फंड से आपके द्वारा खरीदी जा सकने राशि पर कोई सीमा नहीं होती है और यूनिट पूंजी बढ़ सकती है. ये फंड सामान्य रूप से किसी एक्सचेंज पर सूचीबद्ध नहीं होते हैं.

असीमित अवधि वाली स्कीम को उनकी तरलता के कारण चुना जाता है. ऐसे फंड स्कीम के दौरान किसी भी समय यूनिट जारी या रीडिम कर सकते हैं. इसलिए, असीमित अवधि वाले फंड की यूनिट पूंजी में दैनिक आधार पर उतार-चढ़ाव हो सकते हैं. सीमित अवधि वाले फंड पर असीमित अवधि वाले फंड के लाभ इस प्रकार हैं:

Ø किसी भी समय बाहर आने का विकल्प, जारीकर्ता कंपनी प्रवेश करने और बाहर निकलने की सीधी जिम्मेदारी लेती है. इससे निवेशक को तैयार तरलता मिलती है और यह हस्तांतरण के काम, हस्ताक्षर सत्यापन और खराब-वितरणों पर निर्भर रहने से बचाती है.

Ø किसी भी समय प्रवेश विकल्प, असीमित अवधि वाले फंड किसी भी प्रवेश करने देता है और यहां तक कि नियमित समय पर निवेश भी करने की अनुमति देता है.

2. सीमित अवधि वाली स्कीम

सीमित अवधि वाली स्कीम की निश्चित परिपक्वता अवधि होती है. अवधि के दौरान निवेशक ये फंड खरीद सकते है जब ये फंड प्रारंभिक इश्यू में उपलब्ध होते हैं. उसके बाद, ऐसी स्कीमें बोनस या राइट इश्यू को छोड़कर नए यूनिट इश्यू नहीं कर सकती. हालांकि, प्रारंभिक इश्यू के बाद, आप स्कीम की यूनिट को ऐसे स्टॉक एक्सचेंज में खरीद या बेच सकते हैं जहां वो सूचीबद्ध है. यूनिट का बाज़ार मूल्य मांग और पूर्ति कारक, निवेशकों की उम्मीदों और अन्य बाज़ार कारकों की वजह से एनएवी से बदल सकता है.

3. इंटरवल स्कीम

ये स्कीमें असीमित अवधि स्कीम और सीमित अवधि स्कीम की विशेषाताओं को मिलाती हैं. इनका स्टॉक एक्सचेंज में व्यापार किया जा सकता है या एनएवी आधारित मूल्य पर बेचने के लिए उपलब्ध हो सकती है या पूर्व-निर्धारित अंतराल के दौरान रीडिम की जा सकती है.

म्युचूअल फंड में कौन निवेश कर सकता है

अ. भारत में म्युचूअल फंड भारत निवेश करने के लिए इनके द्वारा उपलब्ध है

1. इनमें ये निवासी शामिल है

  • अ. भारतीय निवासी व्यक्ति
  • ब. भारतीय कंपनियां
  • स. भारतीय ट्रस्ट/चैरिटेबल संस्था
  • द. बैंक
  • इ. गैर-बैंकिग वित्त कंपनियां
  • फ. बीमा कंपनियां
  • ज. भविष्य निधियां

2. गैर-निवासी भारतीय इनके सहित

  • अ. गैर-निवासी भारतीय, और
  • ब. अन्य कॉर्पोरेट बॉडी

3. विदेशी संस्थाएं, अर्थात्,

  • अ. सेबी से पंजीकृत विदेश संस्थागत निवेशक (फआईआई).

हालांकि कुछ निवेशक श्रेणी को कुछ फंड की निश्चित स्कीमों में निवेश करने की अनुमति नहीं होती है. इसके अलावा जो निवेशक निवेश करने के लिए पात्र है उसे विभिन्न प्रक्रियाओं का अनुपालन करना पड़ सकता है.

सही म्युचूअल फंड को चुनना:

अ: Kotaksecurities.com आपके निवेश लक्ष्य से बस एक कदम दूर है, जो आपको आसान आईपीओ, आसान डेरिवेटिव, आसान इक्विटी, आसान म्युचूअल फंड जैसे उत्पादों के साथ कई वित्तीय साधनों में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है. इसके अलावा, हमारी ऑफ़रिंग आपके निवेश प्रोफ़ाइल को सूट करने के लिए अनुकूलित की जाती है, इसलिए आप अपने वित्तीय उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही, व्यापक अनुसंधान और विस्तृत श्रंखला के उत्पाद आपकी आवश्यकताओं और उद्देश्यों का ध्यान रखेंगे.

1. पिछला प्रदर्शन

यद्यपि पिछला प्रदर्शन भविष्य का सूचक नहीं होता है लेकिन यह फंड के निवेश सिद्धांत पर थोड़ा प्रकाश डालता है, कि इसने पूर्व में कैसा प्रदर्शन किया था और यह एक समयावधि में किस प्रकार के लाभ निवेशकों को ऑफ़र कर रहा है. स्थिरता के लिए दो वर्षो या एक वर्ष के लाभ को देखना भी फायदेमंद होगा. ऐसे सांख्यिकी जैसे कि 'तत्काल पूर्व में ऐसे फंड ने तेज़ी और मंदी के बाज़ार में कैसा प्रदर्शन किया है?' जैसे सांख्यिकी फंड की ताकत पर प्रकाश डालेंगे. मंदी के बाज़ार में फंड के प्रदर्शन पर नज़र रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि किसी पोर्टफ़ोलियो के सत्य परीक्षण का पता ही अक्सर इससे चलता है कि वह मंदी की स्थिति में कितना कम नीचे गिरता है.

2. अपने फंड प्रबंधक को जानें

किसी फंड की सफलता बहुत हद तक, फंड प्रबंधक पर निर्भर करती है. अधिकतर सफल फंड में से कुछ तो एक ही फंड प्रबंधक द्वारा चलाए जाते हैं. इसलिए निवेश करने से पूर्व हमेशा फंड प्रबंधक के बारे में पूछना, फंड प्रबंधक की रणनीति में बदलाव के बारे में जानना या कोई अन्य महत्वपूर्ण विकास के बारे में जानना जो किसी एएमसी में हुए हो, हमेशा कारगार होता है. उदाहरण के लिए, यदि ऐसा कोई पोर्टफ़ोलियो प्रबंधक जिसने फंड के प्रदर्शन को सफल बनाया हो अब वह निश्चित फंड का प्रबंधन नहीं कर रहा है, तो उस फंड में निवेश करने के तात्पर्य और तर्क-वितर्क का विश्लेषण करने का प्रयास करना चाहिए.

3. क्या स्कीम आपके जोख़िम प्रोफ़ाइल के अनुसार सही है?

कुछ क्षेत्र-विशिष्ट स्कीम उच्च-जोख़िम उच्च-लाभ के साथ आती हैं. उद्योग/क्षेत्र द्वारा बाज़ार में आकर्षण खो देने पर ऐसे प्लान के क्रैश होने की संभावना होती है. यदि निवेशक पूरी तरह से जोख़िम लेने के लिए अनिच्छुक है, तो वह कम या जोख़िम रहित शुद्ध ऋण स्कीम चुन सकता है. अधिकतर निवेशक संतुलित स्कीम को पंसद करते है, जो कि इक्विटी और ऋण के संयोजन में निवेश करती हैं. वृद्धि और शुद्ध इक्विटी प्लान शुद्ध ऋण प्लान से अधिक लाभ प्रदान करते हैं, लेकिन उनमें जोख़िम उच्च होता है.

4. विवरणिका पढ़ें

विवरणिका, फंड के बारे में बहुत कुछ कहती है. उसकी निवेश रणनीति और उसके जोख़िम के बारे में जानने के लिए विवरणिका पढ़ना आवश्यक है. उच्च लाभ दर वाले फंड उच्च जोख़िम तत्व लिए हो सकते हैं. इसलिए, किसी विशेष क्षेत्र में निवेश करते समय यह बहुत जरूरी है कि कोई भी निवेशक किसी विशेष स्कीम को उसके वित्तिय उद्देश्यों का विचार करके चुनें और उसको म्युचू्अल फंड द्वारा लिए जा सकने वाले जोख़िम के विरूद्ध महत्व दें. हालांकि सभी फंड कुछ स्तर के जोख़िम होते हैं. सिर्फ किसी फंड द्वारा सरकारी या कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करने से यह तात्पर्य नहीं निकलता कि उसमें महत्वपूर्ण जोख़िम नहीं है.

5. फंड विविधीकरण

किसी भी म्युचूअल फंड को चुनते समय, उसके द्वारा ऑफ़र किए जाने वाले विविधीकरण पर विचार करना चाहिए. एक विविध और संतुलित पोर्टफ़ोलियो रखना, स्वीकार्य स्तर के जोख़िम को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होता है. सामान्यतः फंड जितना अधिक विविध होगा, उतना ही उसके किसी विशेष क्षेत्र/उद्योग के गिरने पर प्रभावित होने की संभावना कम होगी.

6. लागत

किसी उच्च लागत के फंड को किसी कम लागत के फंड से बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए ताकि आपको समान लाभ मिल सकें. यहां तक कि शुल्क में कम अंतर किसी समय अंतराल में लाभ में बड़ा अंतर ला सकता है. अतः किसी निवेशको को बस यह देखते हुए फंड नहीं चुनना चाहिए कि उस फंड ने वर्तमान रेली में मूल्य में तेज़ी दिखाई है. किसी भी फंड से संबंधित जानकारी को कम से कम तीन वर्षों के लिए देखना उचित होगा. इक्विटी फंड में निवेश करने से पूर्व एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाज़ार के प्रत्येक उतार चढ़ाव पर प्रवेश करने और बाहर आने में कोई फायदा नहीं है. स्टॉक के जैसे ही, उचित इक्विटी म्युचूअल फंड बड़ा फायदा देगा-यदि आप धैर्य रखेंगे तो. इसी तरह, ऐसे किसी फंड को रखने का भी कोई फायदा नहीं होता है जो कुल बाज़ार में वर्षों के बाद भी पीछे जाता हो

एनएवी क्या है

अ: नेट असेट वैल्यू (एनएवी) म्युचूअल फंड की किसी विशेष स्कीम के प्रदर्शन को दर्शाती है.

म्युचू्अल फंड निवेशकों से एकत्रित हुए धन को प्रतिभूति बाज़ार में निवेश करता है. साधारण शब्दों में, नेट असेट वैल्यू स्कीम द्वारा ली गई प्रतिभूतियों का बाज़ार मूल्य होता है. चूंकि प्रतिभूतियों का बाज़ार मूल्य हर दिन बदलता है, इसलिए किसी स्कीम की की एनएवी भी दैनिक आधार पर बदलती रहती है.

एनएवी =स्कीम की प्रतिभूतियों का बाज़ार मूल्य
किसी विशेष दिनांक पर स्कीम की कुल इकाइयों की संख्या.

उदाहरण के लिए, यदि किसी म्युचूअल फंड स्कीम की प्रतिभूतियों का बाज़ार मूल्य 200 लाख रु है और प्रति इकाई 10 रु. की 10 लाख इकाईयां, निवेशकों को जारी की हैं, तो एनएवी प्रति इकाई 20 रु होगी. एनएवी को स्कीम के प्रकार पर निर्भर करते हुए नियमित रूप से बताना आवश्यक होता है- दैनिक या साप्ताहिक

म्युचूअल फंड के कर पहलू

अ. लाभांश आय के कर अनुमान

इक्विटी स्कीम

इक्विटी स्कीम ऐसी स्कीम होती हैं, जिनका 50 प्रतिशत से अधिक का निवेश घरेलू कंपनियों के इक्विटी शेयर में होता है.

जहां तक इक्विटी स्कीम का संबंध है, लाभांश पर कोई वितरण टैक्स देय नहीं है. निवेशकों के हाथ का, लाभांश कर-मु्क्त है. निवेशकों के हाथ का, लाभांश कर-मु्क्त है.

अन्य स्कीम

इक्विट के अलावा अन्य स्कीम में, निवेशकों के हाथ में, लाभांश कर-मुक्त है.

हालांकि, लाभांश पर 12.81% की दर से वितरण कर म्युचूअल फंड द्वारा भुगतान किया जाता है.

पूंजी लाभ के कर अनुमान

संपत्ति के बिक्री विचार(बिक्री मूल्य) और अधिग्रहण लागत(खरीद मूल्य) के बीच का अंतर पूंजी लाभ कहलाता है. यदि निवेशक उसकी यूनिट बेचता है और पूंजी लाभ कमाता है, तो वह पूंजी लाभ कर देने के लिए उत्तरदायी है.

पूंजी लाभ दो तरह के होते हैं: लघु अवधि और दीर्घावधि पूंजी लाभ.

लघु अवधि पूंजी लाभ

यदि म्युचूअल फंड यूनिट की होल्डिंग अवधि यूनिट सौंपे जाने से 12 महीनों के बराबर या उससे कम होती है, तो लघु अवधि पूंजी लाभ लागू होगा.

लघु अवधि पूंजी लाभ पर, कोई सूचीकरण लाभ लागू नहीं है.

कर और टीडीएस दर (सरचार्ज छोड़कर)

भारतीय निवासी और घरेलू कंपनियां

लाभ को निवेशक की कुल आय में जोड़ा जाएगा और कर की मामूली दर पर कर लगाया जाएगा. कोई टीडीएस नहीं.

एनआरआई के लिए: इक्विटी स्कीम के लिए लाभ से 10% टीडीएस और ऋण स्कीमों के लिए 30 % टीडीएस.

दीर्घ अवधि पूंजी लाभ

म्युचूअल फंड यूनिट की, यूनिट आवंटन की तिथि से 12 महीने से अधिक की होल्डिंग अवधि होती है.

दीर्घ अवधि पूंजी लाभ पर सूचीकरण लाभ लागू है.

कर और टीडीएस (सरचार्ज छोड़कर)

भारतीय निवासी और घरेलू कंपनियां

लाभ पर इस तरह से कर लगाया जाएगा

अ) ऋण फंड के लिए सूचीकरण लाभ के साथ 20% पर

या सूचीकरण लाभ के बिना 10% पर, जो कोई भी ऋण फंड के लिए कम होगा. इसमें टीडीएस शामिल नहीं है.

ब) इक्विटी फंड पर कोई दीर्घ-अवधि पूंजी लाभ कर नहीं.

एनआरआई:

अ) केवल ऋण फंड के लिए लाभ में से 20% टीडीएस.

ब) इक्विटी फंड के लिए दीर्घ-अवधि पूंजी लाभ पर कोई कर नहीं

सरचार्ज लागू

भारतीय निवासी: यदि लाभ 8.5 लाख रुपए से अधिक होता है, तो निवेशक द्वारा 10% की दर से सरचार्ज देय होगा. घरेलू कंपनियां: निवेशकों द्वारा 2.5% की दर से देय होगा.

एनआरआई: यदि लाभ 8.5 लाख रुपए से अधिक होता है, तो सरचार्ज को 2.5% की दर से स्रोत पर काटा जाएगा

जोख़िम बनाम प्रतिफल

अ: म्युचूअल फंड की मूलभूत बातें समझने के बाद, अगला कदम एक सफल निवेश पोर्टफोलियो बनाना होता है. इससे पहले कि कोई पोर्टफोलियो बनाना प्रारंभ करे, उसे म्युचूअल फंड में निवेश करने के अन्य तत्वों को और वह निवेश के संभंवित मूल्य को वर्षों में किस तरह प्रभावित कर सकते हैं, समझना चाहिए. निवेश करते समय सबसे पहली बात जो ध्यान में रखनी चाहिए वह है, कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि समाप्ति के समय उसके पास अधिक धन होगा. अन्य शब्दों में, हानि की संभावना हमेशा रहती है. निवेश में हानि के मूल्य को निवेश जोख़िम समझा जाता है.

निवेश की मूल बातों का आधारभूत सिद्धांत है कि जितना अधिक आप जोख़िम लेंगे, उतना ही अधिक संभवित प्रतिलाभ होगा.

जोख़िम का फिर, तात्पर्य अस्थिरता से है- बाज़ार की उतार-चढ़ाव की गतिविधि और व्यक्तिगत समस्याएं जो किसी समय अवधि में लगातार होती रहती हैं. यह अस्थिरता कई कारणों से आती है - ब्याज दर परिवर्तन, मुद्रस्फीति या सामान्य आर्थिक स्थिति. यही वह अस्थिरता है, अनिश्चितता और हानि की संभावना, जिसके कारण निवेशकों को चिंता होती है. हम सभी को ऐसी संभावना का डर होता है कि जिस स्टॉक में हमने निवेश किया है वह बहुत गिर जाएगा. लेकिन यही वह अधिक अस्थिरता होती है जो इन निवेशों से बचत खाते की तुलना में उच्च लंबी अवधि लाभ देती हैं.

विभिन्न प्रकार के म्युचूअल फंड की विभिन्न स्तर की अस्थिरता या संभवित मूल्य होता है, और ऐसे फंड जिनके मूल्य कम होने की संभावना होती है वे फंड भी समय के साथ आपको अच्छा लाभ दे सकते हैं. इसलिए जोख़िम के दो पहलू होते हैं: जिनके कारण आपके निवेश का मूल्य बढ़ता-गिरता है, लेकिन स्वाभाविक है कि आप उच्च लाभ कमाने की उम्मीद रख सकते हैं.

यह हर निवेशक को ध्यान में रखना सहायता पूर्ण होगा कि सभी वित्तीय निवेशों में उतार-चढ़ाव होता है. उनमें बहुत ही कम पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और ऐसे होते हैं जो लंबे समय में इतना भी लाभ नहीं देते हैं कि मुद्रास्फिति का सामना कर सकें.

जोख़िम के प्रकार

सभी निवेशों में कुछ तरह का जोख़िम होता है. नीचे कुछ सामान्य जोख़िम उल्लेखित किए गए हैं. किसी निवेशक को निवेश करते समय संभवित प्रतिफल के विरुद्ध इनका आकलन अच्छी तरह से करना होगा.

बाज़ार जोख़िम

किसी समय पर, किसी विशेष बाज़ार में सभी प्रतिभूतियों की कीमत या प्राप्ति व्यापक बाहरी प्रभावों के कारण बढ़ या घट सकती है. जब ऐसा होता है, तो कोई उत्कृष्ठ, उच्च लाभदायक कंपनी और अनुभवहीन कॉर्पोरेशन दोनों ही प्रभावित हो सकते हैं. कीमतों में यह बदलाव "बाज़ार जोख़िम" के कारण होता है. कीमतों में यह बदलाव "बाज़ार जोख़िम" के कारण होता है.

मुद्रास्फीति जोख़िम

कभी कभी "क्रय शक्ति में कमी" के रूप में भी संदर्भित किया जाता है. जब भी कभी मुद्रस्फिति आपके निवेश पर होने वाली आय से अधिक तेज़ बढ़ती है, तब वास्तव में खरीदने की क्षमता की कमी का जोख़िम होता है. मुद्रस्फिति जोख़िम तब भी होता है जब कीमतें, लाभ की तुलना में अधिक तेज़ी से बढ़ती है.

क्रेडिट जोख़िम

संक्षेप में, निवेश करते समय किसी के द्वारा जिस कंपनी या संस्था को धन उधार दिया जाता है वह कंपनी कितनी स्थिर है? आपको कितना विश्वास है कि वह कंपनी आपको किए गए वादे के अनुसार ब्याज चुकाने के लिए सक्षम होगी, या निवेश के परिपक्व होने पर आपका मूलधन अदा करेगी? इसी को क्रेडिट जोख़िम कहते हैं

ब्याज दर जोख़िम

ब्याज दर के बदलने से इक्विटी और बॉन्ड दोनों ही कई तरह से प्रभावित होते हैं. निवेशकों को यह स्मरण कराया जाता है कि दर किस तरह बढ़ेगी, इसका अनुमान लगाना कभी कभार ही सही निकलता है. निवेशकों को यह स्मरण कराया जाता है कि दर किस तरह बढ़ेगी, इसका अनुमान लगाना कभी कभार ही सही निकलता है.

विनिमय जोख़िम

कई कंपनियां विदेशी मुद्रओं में राजस्व उत्पन्न करती है और हो सकता है कि उनके विदेशी मुद्रओं में नामित निवेश या व्यय भी हो. इसलिए विनिमय दरों में बदलाव का, ऐसी कंपनियो पर अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जिसके कारण फंड के निवेश पर भी असर होगा.

निवेश जोख़िम

क्षेत्रीय फंड स्कीम में, किसी विशेष क्षेत्र की चुनिदां कंपनियों की इक्विटी में मुख्य रूप से निवेश किया जाएगा. तदानुसार, स्कीम की एनएवी ऐसी कंपनियों के इक्विटी प्रदर्शन से जुड़ी होती है और हो सकता है कि इक्विटी के किसी अधिक विविध पोर्टफ़ोलियो की तुलना में ये अधिक अस्थिर हो. 

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