केंद्रीय बजट 2020-21 का विश्लेषण यहां जानें Central Budget 2021 में की प्रमुख बातें-
कोरोना (Corona) संकट के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद के पटल पर आम बजट 2021 प्रस्तुत किया. इस बजट की सबसे खास बात यह रही कि देश के इतिहास में पहली बार पेपर लेस बजट (Union Budget 2021) पेश किया गया. Finance Minister Nirmala Sitharaman ने स्वदेशी टैब के जरिए बजट को संसद में पढ़ा.
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- स्वास्थ्य का बजट 94 हजार करोड़ से बढ़ाकर 2.23 लाख करोड़ किया गया.
- देश भर में 75 हजार हेल्थ सेंटर्स बनाए जाएंगे.
- वित्त वर्ष 2022 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 6.8 परसेंट रहने का अनुमान.
- इंफ्रा सेक्टर को बड़ा बूस्ट देने की तैयारी, डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी पर 20,000 करोड़ का निवेश करेंगे.
- 75 साल से अधिक उम्र वालों को अब टैक्स नहीं देना पड़ेगा.
- जम्मू कश्मीर में गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी.
- रेलवे के लिए 2030 तक की योजना तैयार की गई है. नई राष्ट्रीय रेल योजना बनाई जाएगी.
- रेल बजट पर 1.1 लाख करोड़ खर्च किया जाएगा.
- उज्ज्वला योजना से 8 करोड़ को फायदा पहुंचा, अब 1 करोड़ नए लोगों को जोड़ा जाएगा.
- बैंकों की NPA समस्या से निपटने के लिए AMC बनाने का ऐलान हुआ.
- सरकारी बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी.
- किसानों को उनकी फसल के लिए MSP से 1.5 गुना ज्यादा कीमत दी जाएगी, किसानों को 75 हजार करोड़ रुपये दिए गए.
- किसान कर्ज के लिए 16.5 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान,
- आदिवासी इलाकों में 750 एकलव्यू स्कूल खोले जाएंगे.
- अगली जनगणना डिजिटल तरीके से होगी.
- दो और कोरोना वैक्सीन आएगी.
बजट की मुख्य झलकियां
- व्यय: 2020-21 में सरकार ने 30,42,230 करोड़ रुपए के व्यय का प्रस्ताव रखा है, जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान से 12.7% अधिक है।
- प्राप्तियां: विनिवेश से अधिक अनुमानित राजस्व के कारण प्राप्तियों (शुद्ध उधारियों के अतिरिक्त) के 16.3% बढ़कर 22,45,893 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
- जीडीपी का विकास: 2020-21 में सरकार ने 10% की नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर (यानी वास्तविक वृद्धि जमा मुद्रास्फीति) का अनुमान लगाया है। 2019-20 में यह अनुमान 12% था।
- घाटे: राजस्व घाटा जीडीपी के 2.7% पर लक्षित है जोकि 2019-20 के 2.4% के संशोधित अनुमान से अधिक है। राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5% पर लक्षित है जोकि 2019-20 के 3.8% के संशोधित अनुमान से कम है। उल्लेखनीय है कि सरकार का 2019-20 में राजकोषीय घाटे (3.3%) और 2020-21 में मध्यम अवधि के 3% के लक्ष्य से आगे निकलने का अनुमान है। इसमें ऑफ बजट उधारियां शामिल नहीं हैं (2020-21 में जीडीपी का 0.9%)।
- मंत्रालयों का आबंटन: जिन 13 मंत्रालयों को सबसे अधिक आबंटन किया गया है, उनमें संचार मंत्रालय (129%) और इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (30%) और गृह मंत्रालय (20%) के आबंटनों में सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
फाइनांस बिल में टैक्स प्रस्ताव
टैक्स कानूनों में परिवर्तन के अतिरिक्त फाइनांस बिल, 2020 में बेनामी संपत्ति लेनदेन पर प्रतिबंध एक्ट, 1988 में कुछ गैर कर परिवर्तनों को भी प्रस्तावित किया गया है।
- इनकम टैक्स की दरों में परिवर्तन: इनकम टैक्स की दरों में परिवर्तन किया गया है। तालिका 1 में मौजूदों टैक्स दरों की तुलना प्रस्तावित टैक्स दरों से की गई है। उल्लेखनीय है कि नई व्यक्तिगत टैक्स दरें वैकल्पिक हैं और अगर व्यक्ति कुछ शर्तों को पूरा करता है तो वह उनका लाभ उठा सकता है, जैसे अगर वह कुछ छूटों या कटौतियों का लाभ नहीं उठाता। इनमें सामान्य कटौतियां, अवकाश यात्रा भत्ता, घर किराया भत्ता, होम लोन पर ब्याज भुगतान और अध्याय VI-ए के अंतर्गत आने वाली कटौतियां (प्रॉविडेंट फंड में निवेश, बीमा प्रीमियम, धर्मार्थ संस्थाओं को चंदा, इत्यादि) शामिल हैं। एक बार इस विकल्प का इस्तेमाल करने पर बाद के वर्षों में यही लागू होगा।
आय | मौजूदा टैक्स दर | प्रस्तावित टैक्स दर |
5 लाख रुपए तक | शून्य | शून्य |
5 लाख रुपए और 7.5 लाख रुपए के बीच | 20% | 10% |
7.5 लाख रुपए और 10 लाख रुपए के बीच | 15% | |
10 लाख रुपए और 12.5 लाख रुपए के बीच | 30% | 20% |
12.5 लाख रुपए और 15 लाख रुपए के बीच | 25% | |
15 लाख रुपए से अधिक | 30% |
- निम्न टैक्स दरों का विकल्प: हाल ही में इनकम टैक्स एक्ट ने घरेलू कंपनियों को यह विकल्प दिया है कि अगर वे कुछ कटौतियों का दावा न करें तो 22% की टैक्स दरों का लाभ उठा सकती हैं। कुछ और कटौतियों को शामिल करने के लिए इस सूची को बढ़ाया गया है, जैसे सेक्शन 80जी के अंतर्गत आने वाली कटौतियां (धर्मार्थ संस्थाओं को चंदा)। इसके अतिरिक्त सहकारी संस्थाओं को भी यह सुविधा प्रदान की गई है।
- कॉरपोरेट्स को लाभ: वर्तमान में घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के पास यह विकल्प है कि अगर वे एक्ट के अंतर्गत कुछ कटौतियों का दावा न करें तो 15% की दर पर इनकम टैक्स चुका सकती हैं। अब बिजली उत्पादन में लगी घरेलू कंपनियों को भी यह लाभ मिलेगा।
- लाभांश वितरण टैक्स: वर्तमान में कंपनियों को अपने शेयरहोल्डर्स को दिए जाने वाले लाभांश पर 15% की दर पर टैक्स चुकाना होता है। इसे हटा दिया गया है और अब लाभांश आय पर प्राप्तकर्ताओं को टैक्स चुकाना होगा।
- सामाजिक सुरक्षा अंशदान के लिए कटौतियों की सीमा: वर्तमान में मान्यता प्राप्त प्रॉविडेंट फंड, एक स्वीकृत सुपरनुएशन फंड और राष्ट्रीय पेंशन योजना में नियोक्ता द्वारा दिए गए अंशदान की राशि पर कटौतियों की कोई संयुक्त सीमा नहीं है। अब कटौतियों पर 7.5 लाख रुपए की संयुक्त सीमा तय की गई है जिसका इन अंशदानों के लिए दावा किया जा सकता है।
- भारत में निवास: इनकम टैक्स, 1961 में भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के व्यक्ति के निवास के स्थान को निर्धारित करने वाली विभिन्न शर्तों को निर्दिष्ट किया गया है। एक व्यक्ति को निवासी माना जाएगा, अगर भारत में उसकी ग्लोबल इनकम कर योग्य है और अगर वह भारत में 182 दिनों से अधिक समय से है। अब इस समय सीमा को घटाकर 120 दिन कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त कोई भी भारतीय नागरिक जो अधिवास या निवास के कारण किसी अन्य देश या क्षेत्र में टैक्स के लिए दायी नहीं है तो उसे भारत का निवासी माना जाएगा।
- ई-कॉमर्स लेनदेन पर टीडीएस: ई-कॉमर्स लेनदेन पर 1% टीडीएस वसूला जाएगा।
- हाउसिंग इनसेंटिव: वर्तमान में अगर सस्ते मकानों वाले प्रॉजेक्ट्स को 31 मार्च, 2020 तक मंजूर कर लिया गया है तो उनके निर्माण से होने वाले लाभों पर छूट दी जाती है। इसके अतिरिक्त अगर 31 मार्च, 2020 तक लोन मंजूर कर लिया गया है तो अपने कब्जे वाले मकान के मालिकों को लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1,50,000 रुपए की अतिरिक्त टैक्स कटौती प्रदान की गई है। दोनों मामलों में यह समय सीमा 31 मार्च, 2021 कर दी गई है।
- स्टार्ट-अप्स के लिए टैक्स में बदलाव: अगर स्टार्ट-अप्स को 1 अप्रैल, 2016 और 31 मार्च, 2021 के बीच निगमित किया गया है और अगर उनका टर्नओवर 25 करोड़ रुपए से अधिक का नहीं है तो वे सात वर्षों में से लगातार तीन वर्षों के लाभ पर पूर्ण कर छूट का लाभ ले सकते हैं। अब इस समयावधि को सात से दस वर्ष कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त टर्नओवर की सीमा भी 25 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दी गई है।
- इसके अतिरिक्त स्टार्ट-अप्स के कर्मचारियों को अपने ईएसओपीज़ (स्टॉक ऑप्शन) पर टैक्स चुकाना होता है। अब वे (i) आकलन वर्ष के अंत से 4 वर्ष खत्म होने तक, (ii) ऑप्शन की बिक्री पर, या (iii) कर्मचारी के कंपनी छोड़ने तक, इनमें से जो भी पहले हो, टैक्स के भुगतान को स्थगित कर सकते हैं।
- एक्साइज: कुछ तंबाकू उत्पादों, जैसे सिगरेट, च्युइंग टोबैको और टोबैको एक्सट्रैक्ट पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी को बढ़ा दिया गया है। उदाहरण के लिए च्युइंग टोबैको पर ड्यूटी की दर प्रति किलो पर 10% से बढ़ाकर 25% कर दी गई है। इसके अतिरिक्त कच्चे पेट्रोलियम को 50 रुपए प्रति टन की ड्यूटी के दर के साथ शामिल किया गया है।
- कस्टम्स: कुछ वस्तुओं, जैसे टेबलवेयर और किचनवेयर, फुटवियर, पंखों और खिलौनों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गई है।
- कस्टम्स पर हेल्थ सेस: कुछ मेडिकल उपकरणों पर हेल्थ सेस वसूला जाएगा (कस्टम ड्यूटी के अतिरिक्त), जैसे भारत में आयात होने वाली एक्स-रे मशीनें। इस सेस को स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं के वित्त पोषण पर खर्च किया जाएगा।
- धर्मार्थ संस्थाओं को चंदों पर बाध्यताएं: धर्मार्थ संस्थाओं को सेक्शन 12एए के अंतर्गत कर से छूट मिलती है और उन्हें मिलने वाले चंदों को सेक्शन 10(23सी), 35 और 80जी के अंतर्गत छूट मिलती है। अब इन सेक्संश के अंतर्गत मंजूरियां अधिकतम पांच वर्षों के लिए वैध होंगी। मंजूरी प्राप्त संस्थाओं को इन्हें दोबारा से जारी करना होगा।
- कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स: वर्तमान में कमोडिटी डेरेवेटिव्स पर 0.01% का कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स लगता है। बिल तीन टैक्स दरों की रचना करता है: (i) मूल्यों या मूल्य सूचकांक के आधार पर कमोडिटी डेरेवेटिव्स की बिक्री पर विक्रेता द्वारा 0.01% देय, (ii) ऑप्शन की बिक्री पर क्रेता द्वारा 0.0001% देय, जिसका परिणाम माल की डिलिवरी में हो, और (iii) ऑप्शन की बिक्री पर क्रेता द्वारा 0.125% देय, जिसका परिणाम नकद भुगतान हो।
- भारतीय स्टाम्प एक्ट, 1899: स्टाक एक्सचेंज और विशेष आर्थिक जोन्स एक्ट, 2005 के अंतर्गत स्थापित अंतरराष्ट्रीय फाइनांशियल सेंटर्स में स्थापित स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी में लेनदेन के मामले में स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगेगी।
- सोवरिन वेल्थ फंड्स: अबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी द्वारा किए गए निवेश और कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर केंद्रों में अन्य अधिसूचित सोवरिन वेल्थ फंड्स से होने वाली आय को टैक्स से छूट दी जाएगी। अगर निवेश 31 मार्च, 2024 से पहले किया गया था और तीन साल की न्यूनतम लॉक-इन अवधि है तो यह छूट उपलब्ध है।
- बेनामी संपत्ति लेनदेन पर प्रतिबंध एक्ट, 1988: एक्ट बेनामी संपत्तियों से संबंधित मुद्दों पर एक एड्जूडिकेटिंग अथॉरिटी की स्थापना करता है। अथॉरिटी के चेयरपर्सन और सदस्यों की योग्यता यह है कि वे: (i) इनकम टैक्स कमीश्नर या उसके बराबर के पद वाले भारतीय राजस्व सेवा के सदस्य होने चाहिए, या (ii) ज्वाइंट सेक्रेटरी या उसके बराबर के पद वाले भारतीय विधि सेवा के सदस्य होने चाहिए। बिल कहता है कि जिला न्यायाधीश के पद के लिए योग्य व्यक्ति भी चेयरपर्सन या अथॉरिटी का सदस्य हो सकता है।
- कुछ भत्तों पर टैक्स छूट को हटाना: केंद्रीय लोक सेवा आयोग या निर्वाचन आयोग के मौजूदा या पूर्व सदस्यों को कुछ सुविधाओं, जैसे किराया मुक्त आवास, वाहन भत्ता और मेडिकल सुविधाओं पर टैक्स की छूट है। इस छूट को हटा दिया गया है।
नीतियों की झलक
- विधायी परिवर्तन: बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 को सहकारी बैंकों के बेहतर प्रशासन के लिए संशोधित किया जाएगा। सरफेसी एक्ट, 2002 के अंतर्गत ऋण रिकवरी के लिए पात्र एनबीएफसीज़ की सीमा को कम किया जाएगा। एसेट साइज को 500 करोड़ से घटाकर 100 करोड़ किया जाएगा और लोन साइज को एक करोड़ रुपए से 50 लाख रुपए कर दिया जाएगा। डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन को जमाकर्ता के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज को बढ़ाने की अनुमति दी गई है जोकि अब प्रति डिपॉजिटर एक लाख रुपए की बजाय पांच लाख रुपए होगा। फैक्टर रेगुलेशन एक्ट, 2011 को संशोधित किया जाएगा ताकि एनबीएफसीज़ एमएसएमईज़ का वित्त पोषण कर सकें। पीएफआरडीएआई के लिए सरकार कर्मचारियों हेतु एनपीएस ट्रस्ट को अलग करने के लिए पीएफआरडीएआई एक्ट में संशोधन किया जाएगा। जिन मामलों में दीवानी कृत्यों को आपराधिक नतीजों का सामना करना पड़ता हैं, उनसे संबंधित कानूनों की जांच की जाएगी और उनमें संशोधन किए जाएंगे। कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट, 1872 को यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूत किया जाएगा कि कॉन्ट्रैक्ट्स दिए जाएं।
- जीएसटी मुआवजा: 2016-17 और 2017-18 के लिए जीएसटी मुआवजा दो किस्तों में चुकाया जाएगा। अब से जीएसटी मुआवजा फंड का ट्रांसफर केवल मुआवजा सेस के जरिए किया जाएगा।
- विनिवेश: सरकार इनीशियल पब्लिक ऑफर के जरिए एलआईसी में अपनी होल्डिंग्स का एक हिस्सा बेचेगी। सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी होल्डिंग के बैलेंस को बेचने की भी योजना बना रही है।
- निवेश: अनिवासी निवेशकों के लिए सरकारी सिक्योरिटीज़ की कुछ निर्दिष्ट श्रेणियां पूरी तरह से खोली जाएंगी। कॉरपोरेट बॉन्ड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की सीमा को कॉरपोरेट बॉन्ड के बकाया स्टॉक के 9% से 15% तक बढ़ाया जाएगा। इसमें एक इनवेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है जोकि एंड टू एंड सुविधा और समर्थन प्रदान करेगा जैसे केंद्रीय और राज्य स्तर पर निवेश पूर्व सलाह देना।
- कॉमर्स और उद्योग: मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सेमी-कंडक्टर पैकेजिंग की मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना प्रस्तावित की गई है। राष्ट्रीय टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन को 2020-21 से 2023-24 तक 1,480 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लागू किया जाएगा। निर्यात उत्पादों पर ड्यूटीज़ और करों के रिफंड के लिए एक योजना शुरू की जाएगी जिन्हें किसी अन्य मौजूदा तंत्र के अंतर्गत छूट नहीं मिल रही।
- इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरी विकास: सरकार राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के अंतर्गत 6,500 प्रॉजेक्ट्स तैयार करेगी। इन प्रॉजेक्ट्स में हाउसिंग, साफ पेज जल और स्वास्थ्य देखभाल इत्यादि शामिल हैX। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को जारी किया जाएगा जोकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और मुख्य रेगुलेटर्स की भूमिकाओं को स्पष्ट करेगा। इसके अतिरिक्त वह सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट तैयार करेगा। राज्यों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए पांच नए स्मार्ट शहरों को विकसित किया जाएगा।
- परिवहन और ऊर्जा: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए चार रेलवे स्टेशनों का पुर्नविकास प्रॉजेक्ट शुरू किया जाएगा और 150 यात्री गाड़ियों को परिचालित किया जाएगा। सरकार राज्यों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगी कि वे 2023 तक बिजली के परंपरागत मीटरों के जरिये प्रीपेड स्मार्ट मीटरों का इस्तेमाल करें। राष्ट्रीय गैस ग्रिड को 16,200 किमी से बढ़ाकर 27,000 किमी करने का प्रस्ताव है।
- कृषि और संबद्ध गतिविधियां: सरकार 20 लाख किसानों को स्टैंड एलोन सोलर पंप लगाने में मदद करने हेतु प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना का विस्तार करेगी। ब्लॉक स्तर पर गोदामों की स्थापना के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग की जाएगी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के सभी पात्र लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा। सरकार पानी की कमी वाले 100 जिलों के लिए व्यापक उपायों का प्रस्ताव रखेगी।
- तकनीक: डेटा सेंटर पार्क बनाने हेतु निजी क्षेत्र को सक्षम करने के लिए एक नीति पेश की जाएगी। भारतनेट के माध्यम से फाइबर टू द होम कनेक्शंस 2020 में एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ेंगे। आधिकारिक स्टैटिस्टिक्स पर एक नई राष्ट्रीय नीति प्रस्तावित की गई है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जाएगा। पांच वर्षों की अवधि में राष्ट्रीय मिशन के लिए क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ एंड एप्लीकेशन पर 8,000 करोड़ रुपए का परिव्यय प्रस्तावित किया गया है।
- शिक्षा: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की जाएगी। शिक्षा के लिए बाहरी वाणिज्यिक उधार और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के स्रोतों को सक्षम करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। डिग्री स्तर पर ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम उन संस्थानों द्वारा शुरू किया जाएगा जो राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचे में शीर्ष 100 में शामिल हैं।
- स्वास्थ्य: जनऔषधि केंद्र योजना का विस्तार सभी जिलों में किया जाएगा और 2024 तक 2,000 दवाओं और 300 सर्जिकल्स की पेशकश की जाएगी। सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए अस्पतालों की स्थापना के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग विंडो को प्रस्तावित किया गया है।
- सामाजिक न्याय: यह सुनिश्चित करने के लिए विधायी और संस्थागत परिवर्तन किए जाएंगे कि सीवेज सिस्टम्स या सैप्टिक टैंक्स की मैनुअल सफाई नहीं की जाएगी। महिला कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।
- राष्ट्रीय रिक्रूटमेंट एजेंसी: सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर गैजेटेड पदों पर भर्तियों के लिए राष्ट्रीय रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाई जाएगी।
2019-2020 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2020-21 के बजट अनुमान
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